गुरु नानक देव | Guru Nanak Dev

Guru Nanak Dev by नरेन्द्र पाठक - Narendra Pathak

१७ इनके कहे हुये शब्दों को ईश्वर की ह्दी भावाज समझा जीता थ्रा। पुरोहित जी की भविष्यवाणी सारे गाँव मे फेल लोग पडाघड इस बालक के द्यनों के लिये आने लगे । सारा सात का गाव महता जी के घर पर इकट्ठा हो गया था। सब बालक को देखने के इच्छुक थे । वे वारी-वारी ददर्न करते रहे । यहू वात एक गाव से दूसरे दूसरे से तीसरे इस तरह चारा आर कल गई सब लोग इस नवीन प्रकाश को देखने आय । तामकरण संस्कार उस समय की एक निराली भौर महत्वपूर्ण रस्म थी कि लड़के का नाम यदि उसकी वहन बड़ी हो तो उसके नाम पर रख दिया जाता था । यह बात इस रूप मे दुहुराई जाती--यदि लड़का वडा हो तो लड़की का नाम लड़के के नाम से मिलता- जुलता रख दिया जाता ।महता जी के यहा बड़ी लड़की थी जिसका नाम नानकी था जो इतिहास में नानकी के नाम से प्रसिद्ध है । वीवी नानकी के नाम पर ही बालक का नाम नानक रख दिया गया। बालक नानक जी की तो पैदा होने से हो हर वात विचित्र थी । जंसे-जैसे यह वड़ेहो रहे थे वंसे-वे से इनके गुणों के चमत्कार फलते जा रहे थे वह अपने साथियों के साथ प्रेलते भी तो उनको हर बात निराली होती। उन्हे एक स्थान पर विठाकर सत्य- करतार का पाठ पढ़ाने लगते । यदि कभी अकेले होते तो आलती- पालती मारकर भाछे वद करके दोनो हाथ जोडे ऐसे बैठते । जसे उनकी अमर आत्मा सीधी ईरवर के साथ मिल गई हो । उस समय उनके चेहरे पर एक अनुठा प्रकाश नजर आता । लोग चकित होकर इस बालक के चमकते मुखडे को देखने लगते ।

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